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लेखनी कहानी -13-Jun-2023 पुस्तकालय

पुस्तकालय तो पढने का एक बहाना है 
हकीकत में तो वहां रंग बिरंगी तितलियां पटाना है 
कब किसी के तीखे नैन चोट कर बैठे 
लाखों दिलवाले अपने दिलों से हाथ धो बैठे 
पुस्तकालय गवाह हैं हजारों प्रेम कहानियों के 
आंखों की गुस्ताखियों और मस्ती भरी छेड़खानियों के 
कुछ किताबें महज इसलिए प्यारी लगती थीं 
उनमें किसी नाजनीन की मेंहदी की लहक बसती थी 
"सामने वाली बैंच" पर बैठकर जब वो पढती थी 
हजारों निगाहें बरबस उसी ओर ही उठती थीं 
उसके खामोश लब बहुत कुछ कह जाते थे 
एक कातिल मुस्कान से दिल धक से रह जाते थे 
नजरों से बात आगे बढी तो दिल में गुलाब खिलने लगे 
लाइब्रेरी के गलियारों में रोमांस के किस्से महकने लगे 
कुछ खुशनसीब थे जिन्हें प्रेम का प्रतिदान मिला 
अधिकांश को तो लाइब्रेरी से गम का ही सामान मिला 
कुछ सिसकियां, कुछ आहें अभी भी कैद हैं वहां 
हर रोज पनपती प्रेम की पींगें अभी भी मुस्तैद हैं वहां 
कुछ अधूरे किस्से किताबों के बंद पन्नों में दबे पड़े हैं 
कुछ सूखे हुए गुलाब आज भी किताबों में सोये पड़े हैं 
कुछ खत किताबों में रखकर उन तक पहुंचाने थे 
वे आज भी इश्क की राहों में मंजिल के लिए खड़े हैं 
कराहों से दरक गई है इस पुस्तकालय की दीवारें 
मुहब्बत की लाश पर बन गई हैं ताजमहल सी मीनारें 
पुस्तकालय के नाम से ही दिल धड़कने लगता है 
इन पुस्तकालयों में हजारों का भविष्य बनता बिगड़ता है 

श्री हरि 
13.6.23 


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4 Comments

Gunjan Kamal

14-Jun-2023 06:36 AM

👌👏

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Hari Shanker Goyal "Hari"

14-Jun-2023 08:38 AM

🙏🙏

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Punam verma

13-Jun-2023 08:32 AM

Very nice

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Hari Shanker Goyal "Hari"

14-Jun-2023 08:38 AM

🙏🙏

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